Wednesday 16 January 2019

स्वभाव (Nature)





एक बार एक महात्मा जी रास्ते से जा रहे थे उन्होंने देखा कि एक तालाब के किनारे एक बिच्छू जो कि तालाब में डूब रहा है 
उन्होंने सोचा कि बिच्छू को बचाते हैं और वह तालाब के पास जाते हैं बिच्छू को अपने हाथों में लेते हैं लेकिन बिच्छू अपना डंक 
मारता है और वह  महात्मा जी के हाथ से छूट जाता है फिर से वह तालाब में गिर जाता है महात्मा जी ने दोबारा कोशिश 
की बिच्छू को फिर से पकड़ा लेकिन बिच्छू ने फिर अपना डंक महात्मा जी के हाथ में मार दिया और महात्मा जी के हाथ से बिच्छू
 फिर छूट गया और पानी में चला गया फिर तीसरी बार महात्मा जी ने फिर से ऐसा ही किया बिच्छू को बचाने के लिए अपना हाथ
 बिच्छू के पास लाते हैं और बिच्छू को अपने हाथ में लेते हैं लेकिन बिच्छू ने हर बार की तरह इस बार भी ऐसा ही किया उसने 
अपना डंक महात्मा जी को मार दिया लेकिन इस बार महात्मा जी ने बिच्छू को नहीं छोड़ा और वह कष्ट सहते रहे बिच्छू को 
उठाकर उन्होंने बाहर कर दिया यह सब सामने खड़ा एक व्यक्ति देख रहा था वह व्यक्ति महात्मा जी के पास आता है और 
महात्मा जी से कहता है कि यह बिच्छू आपको बार-बार डंक मार रहा था लेकिन फिर भी आप इसे बचा रहे थे इसको आपने क्यों
 नहीं छोड़ा यह सुनकर महात्मा जी ने कहा बिच्छू मुझे डंक मार रहा था क्योंकि यह उसका स्वभाव है उसका नेचर है उसकी 
प्रकृति है मैं महात्मा होकर अगर किसी को ना बचा पाए किसी की सहायता ना कर पाऊं तो फिर मैं महात्मा क्यों कह लाऊंगा
 एक छोटा सा कीड़ा बिच्छू अपने स्वभाव को नहीं बदलना चाहता वह अपना कर्तव्य कर्म कर रहा है तो फिर मैं एक महात्मा 
होकर अपने स्वभाव को क्यों बदलूं महात्मा का अभिप्राय होता है कि वह दूसरों के काम आए दूसरों को सही सलाह दे दूसरों को 
बचाए दूसरों को सही रास्ता दिखाएं तभी तो वह महात्मा कहलाता है 

ऐसा ही कुछ हम लोगों की लाइफ में होता है हम अक्सर सोचते हैं कि सामने वाले ने हमारे साथ गलत किया है तो हम भी 
उसके साथ गलत करें लेकिन ऐसा नहीं है यदि कोई भी व्यक्ति हमारे साथ कुछ गलत करता है तो हमें उसके साथ गलत नहीं 
करना चाहिए यदि आप गलत करेंगे तो फिर आप मैं और उस में 
अंतर ही क्या रहेगा यदि रास्ते में कीचड़ डला है और हम कीचड़ को साफ करना चाहे तो कीचड़ कीचड़ से साफ नहीं होगा 
उसके लिए हमें पानी डालना होगा तभी कीचड़  साफ होगा कोई भी आपके साथ भले ही कितना बुरा व्यवहार क्यों ना करें 
लेकिन हमें दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार ही करना चाहिए ऐसा करने से सामने वाला उसको भी महसूस होगा कि यह मेरे साथ 
अच्छा व्यवहार कर रहा है और मैंने इसके साथ गलत किया उसकी प्रकृति भी चेंज होगी वह भी अपने आप को बदलेगा

No comments:

Post a Comment