Saturday 3 October 2015

Paisa hi paisa रूपए ही रूपए

                                                                                   Image source other

आज आदमी धन के पीछे अंधाधुंध दौड़ रहा है, पांच रूपए मिलने पर दस, दस मिलने पर सौ और सौ मिलने पर हजार की लालसा लिए वो इस अंधी दौड़ में सामिल है. इस दौड़ का कोई अंत नहीं है. धन की इस दौड़ में सभी पारिवरिक और मानवीय सम्बन्ध पीछे छुट गए. उसके पास अपनी पत्नी और संतानों के लिए भी समय नहीं. धन के लिए पुत्र का पिता के साथ, बेटी का माँ के साथ और पति का पत्नी के साथ झगड़े हो रहे है. भाई-भाई के खून का प्यासा है. धन की लालसा व्यक्ति को जघन्य से जघन्य कार्य करने के लिए उकसाती रही है. इस लालसा का ही परिणाम है की जगह-जगह हत्या, लूट, अपहरण और चोरी डकेती की घटनाएँ बढ़ रही है. इस रोगी मनोब्रत्ति को बदलने के लिए हमें प्रयास करने होंगे.............

                                                   Image source other

No comments:

Post a Comment