Monday 30 November 2020

Ego

 


एक आदमी रात को झोपड़ी में बैठकर एक छोटे से दिये को जलाकर कोई शास्त्र पढ़ रहा था आधी रात बीत गई जब थक गया तो 

फूंक मारकर उसने दिया बुझा दिया लेकिन वह यह देखकर हैरान हो गया कि जब तक दिया जल रहा था पूर्णिमा का चांद बाहर 

खड़ा रहा लेकिन जैसे ही दिया बुझ गया तो चांद की किरणें उस कमरे में फैल गई वह आदमी बहुत हैरान हुआ यह देखकर कि 

एक छोटे से दीये ने इतने बड़े चांद को बाहर रोक कर रखा इसी तरह हमने भी अपने जीवन में बहुत छोटे-छोटे दिए चला रखे हैं 

जिसके कारण परमात्मा का चांद बाहर ही खड़ा रह जाता है जब तक हम वाणी को विश्राम नहीं देंगे तब तक मन शांत नहीं होगा 

मन शांत होगा तभी ईश्वर की उपस्थिति महसूस होगी