मेरा एक दोस्त आओ उससे
मिलाता हूँ.
ये दोस्ती कब हुई, ये तो मै भी नहीं जानता हूँ. क्योंकि
मै तो उससे
कभी मिला ही नहीं था न मैंने उसे पहले कभी देखा था
और न ही कभी उसके होने का
अहिसास किया था. वस कभी-कभी लोगो से उसके बारे में कहते हुये
सुना जरुर था.
पर न
जाने कब चुपके से वो मेरे जीवन में आ गया.
और मुझसे इतनी गहरी दोस्ती कर ली कि अब
वो हमेसा मेरे साथ रहता है. जब मै
सबके साथ होता हूँ हँसता हूँ सबसे बाते करता हूँ, तो सोचता हूँ मैंने तो उसे सदा के लिये भुला
दिया.
पर वो मुझे कभी नहीं भूलता. जब
भी अकेले होता हूँ तुरंत मेरे सामने आ जाता है.
क्योंकि वो तो अपनी दोस्ती निभा
रहा है. हां सच्चे दोस्त की यही तो पहिचान होती है जो कभी
साथ न छोड़े. मेरे उस
दोस्त का नाम है... दर्द अब मैंने
भी उसे अपना दोस्त मान लिया है...
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